भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"'अदा' ज़ाफ़री" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
Sharda suman (चर्चा | योगदान) |
|||
(एक अन्य सदस्य द्वारा किये गये बीच के 2 अवतरण नहीं दर्शाए गए) | |||
पंक्ति 1: | पंक्ति 1: | ||
{{KKGlobal}} | {{KKGlobal}} | ||
{{KKParichay | {{KKParichay | ||
− | |चित्र= | + | |चित्र=Ada-Jafri.JPG |
|नाम='अदा' ज़ाफ़री | |नाम='अदा' ज़ाफ़री | ||
− | |उपनाम= | + | |उपनाम='अदा' |
|जन्म=23 अगस्त 1934 | |जन्म=23 अगस्त 1934 | ||
− | |जन्मस्थान=बदायूँ, | + | |जन्मस्थान=बदायूँ, [[उत्तर प्रदेश]], भारत |
|कृतियाँ=मैं साज ढूंढती रही, गज़ालां तुम तो वाकिफ़ हो | |कृतियाँ=मैं साज ढूंढती रही, गज़ालां तुम तो वाकिफ़ हो | ||
|विविध= | |विविध= | ||
पंक्ति 11: | पंक्ति 11: | ||
|अंग्रेज़ीनाम=Ada Jafri | |अंग्रेज़ीनाम=Ada Jafri | ||
}} | }} | ||
− | + | {{KKShayar}} | |
+ | {{KKCatUttarPradesh}} | ||
+ | {{KKCatMahilaRachnakaar}} | ||
+ | ====ग़ज़लें==== | ||
* [[आलम ही और था / 'अदा' ज़ाफ़री]] | * [[आलम ही और था / 'अदा' ज़ाफ़री]] | ||
* [[अचानक दिल-रुबा मौसम का / 'अदा' ज़ाफ़री]] | * [[अचानक दिल-रुबा मौसम का / 'अदा' ज़ाफ़री]] | ||
पंक्ति 27: | पंक्ति 30: | ||
* [[कोई संग-ए-रह भी चमक उठा / 'अदा' ज़ाफ़री]] | * [[कोई संग-ए-रह भी चमक उठा / 'अदा' ज़ाफ़री]] | ||
* [[उजाला दे चराग़-ए-रह-गुज़र / 'अदा' ज़ाफ़री]] | * [[उजाला दे चराग़-ए-रह-गुज़र / 'अदा' ज़ाफ़री]] | ||
− | + | * [[हर एक हर्फ़-ए-आरज़ू को दास्ताँ किये हुए / 'अदा' ज़ाफ़री]] | |
+ | * [[न ग़ुबार में न गुलाब में मुझे देखना / 'अदा' ज़ाफ़री]] | ||
+ | * [[आख़िरी टीस आज़माने को / 'अदा' ज़ाफ़री]] | ||
+ | * [[शायद अभी है राख में कोई शरार भी / 'अदा' ज़ाफ़री]] |
13:37, 13 दिसम्बर 2015 के समय का अवतरण
'अदा' ज़ाफ़री
जन्म | 23 अगस्त 1934 |
---|---|
उपनाम | 'अदा' |
जन्म स्थान | बदायूँ, उत्तर प्रदेश, भारत |
कुछ प्रमुख कृतियाँ | |
मैं साज ढूंढती रही, गज़ालां तुम तो वाकिफ़ हो | |
विविध | |
जीवन परिचय | |
'अदा' ज़ाफ़री / परिचय |
ग़ज़लें
- आलम ही और था / 'अदा' ज़ाफ़री
- अचानक दिल-रुबा मौसम का / 'अदा' ज़ाफ़री
- दीप था या तारा क्या जाने / 'अदा' ज़ाफ़री
- घर का रस्ता भी मिला था शायद / 'अदा' ज़ाफ़री
- गुलों को छू के शमीम-ए-दुआ / 'अदा' ज़ाफ़री
- गुलों सी गुफ़्तुगू करें / 'अदा' ज़ाफ़री
- हाल खुलता नहीं जबीनों से / 'अदा' ज़ाफ़री
- हर गाम सँभल सँभल रही थी / 'अदा' ज़ाफ़री
- हर इक दरीचा किरन किरन है / 'अदा' ज़ाफ़री
- जो चराग़ सारे बुझा चुके उन्हें इंतिज़ार कहाँ रहा / 'अदा' ज़ाफ़री
- काँटा सा जो चुभा था / 'अदा' ज़ाफ़री
- ख़लिश-ए-तीर-ए-बे-पनाह गई / 'अदा' ज़ाफ़री
- ख़ुद हिजाबों सा ख़ुद जमाल सा था / 'अदा' ज़ाफ़री
- कोई संग-ए-रह भी चमक उठा / 'अदा' ज़ाफ़री
- उजाला दे चराग़-ए-रह-गुज़र / 'अदा' ज़ाफ़री
- हर एक हर्फ़-ए-आरज़ू को दास्ताँ किये हुए / 'अदा' ज़ाफ़री
- न ग़ुबार में न गुलाब में मुझे देखना / 'अदा' ज़ाफ़री
- आख़िरी टीस आज़माने को / 'अदा' ज़ाफ़री
- शायद अभी है राख में कोई शरार भी / 'अदा' ज़ाफ़री