भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"सागर लौटा चट्टानों से / कुमार रवींद्र" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=कुमार रवींद्र |अनुवादक= |संग्रह=च...' के साथ नया पृष्ठ बनाया) |
(कोई अंतर नहीं)
|
15:22, 13 दिसम्बर 2015 के समय का अवतरण
दिन डूब गया
सागर उलटे पाँवों लौटा
चट्टानों से
तट पर
आँखे मूँदे लौटी
कुछ नौकाएँ
सीपियाँ और गूँगे शंखों की
दुविधाएँ
आवाज़ें पिछले द्वीपों की
फिर टकरातीं हैं
कानों से
अंधे खजूर की बाँहों में
तारे उतरे
नीली मछली ने
जाल मछेरों के कुतरे
चेहरा धोकर
चुपचाप हवाएँ गुज़र गयीं
मैदानों से