भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"बूढ़ी गौरैया के पंख थके / कुमार रवींद्र" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=कुमार रवींद्र |अनुवादक= |संग्रह=च...' के साथ नया पृष्ठ बनाया) |
(कोई अंतर नहीं)
|
17:11, 13 दिसम्बर 2015 के समय का अवतरण
बूढ़ी गौरैया के पंख थके
निकले सभी खोखले दाने
खेत पुराने हैं
अगले दिन को
बहलाने के कई बहाने हैं
आँधी-पानी में
बरगद के सारे घाव पके
लौटें कैसे बौने सूरज
बँटे घोंसलों में
खोजें कैसे महक हवाएँ
जली कोंपलों में
नई छाँव से
टूटे रिश्ते पिछले आँगन के