भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"हमारे अंदर भी एक बागीचा है / राग तेलंग" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=राग तेलंग |संग्रह= }} {{KKCatKavita}} <poem>कुछ फ...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
 
(कोई अंतर नहीं)

19:57, 19 दिसम्बर 2015 के समय का अवतरण

कुछ फूल
खिलने के लिए
बिजली गिरने का मौका ढूंढते हैं

कुछ फूल धीरे-धीरे खिलते हैं
रेशमी छुअन के साथ-साथ

कुछ फूल निहारने से ही खिल उठते हैं

सोचो तो
मन में ही खिल उठते हैं कुछ फूल

फूलों के खिलने की वजहें
गिनाई नहीं जा सकती

मौसमों के आने का इंतजार
कई फूल नहीं करते।