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"निशान / राग तेलंग" के अवतरणों में अंतर

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20:02, 19 दिसम्बर 2015 के समय का अवतरण

सच है
चीजें जब तक संभाले रक्खो
संभली रहती हैं
छोड़ दो तो छूट जाती हैं

फर्श पर टूटा हुआ चाय का कप
कह गया
जैसे यह
हाथ से गिरते-गिरते

हाथ की ऊंगलियों के बीच
अब बस
एक अहसास का निशान रह गया है ।