भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"तितली / राग तेलंग" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=राग तेलंग |संग्रह= }} {{KKCatKavita}} <poem>तितली...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
 
(कोई अंतर नहीं)

20:12, 19 दिसम्बर 2015 के समय का अवतरण

तितली
परदों वाले घर में रहती थी
हालांकि
कभी.कभार ही निकल पाती थी
घर से बाहर

और जब घर से बाहर निकलती थी देखते ही बनती थी
उसकी बाहें मचलने लगती थीं पंखों की तरह
हवा से बातें करने का हुनर
उमग उठता था भीतर उसके
सब देखते रह जाते थे उसे

वह किसी को तब नज़र भर देखती थी
जब कोई पुकारता था उसे
मन नही मन
ऐ ! तितली  !!