भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"कमाल की औरतें ३१ / शैलजा पाठक" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=शैलजा पाठक |अनुवादक= |संग्रह=मैं ए...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
(कोई अंतर नहीं)

15:36, 20 दिसम्बर 2015 का अवतरण

हवा तेज़ भाग रही है
मन के अंधेरे रास्तों पर
एक उजली छत पर
एक अकेली लड़की
गा रही है
गोल-गोल ƒघूमती हुई
एक गीत

आंधी पानी दोष बुढिय़ा भरोस...

चांद पृथ्वी सब ƒघूम रहे हैं गोल-गोल

लड़की आज भी ƒघूम रही है
अपनी धुरी पर अकेली
जि़‹दगी ƒघर ब‘चे जदोजहद
दुनिया देख रही है

अब मन की अंधेरी सड़क पर
तेज आंधी है...डरावनी आवाज़ें
आहटों से तेज सांसें हैं।