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"कमाल की औरतें ३८ / शैलजा पाठक" के अवतरणों में अंतर
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चमचमाती थाली में
चेहरा देखा
और बुदबुदाई
तुम खामोश हो
हम कर दिए जाते हैं
थाली में उभरी एक जोड़ी
आंखें धुंधला गईं
मैंने सूखे कपड़े से गीली थालियों को
सुखा कर सजा दिया।