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"कमाल की औरतें ३८ / शैलजा पाठक" के अवतरणों में अंतर

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15:50, 20 दिसम्बर 2015 का अवतरण

चमचमाती थाली में
चेहरा देखा
और बुदबुदाई

तुम खामोश हो
हम कर दिए जाते हैं

थाली में उभरी एक जोड़ी
आंखें धुंधला गईं

मैंने सूखे कपड़े से गीली थालियों को
सुखा कर सजा दिया।