भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"हार कभी स्वीकार न करना / कमलेश द्विवेदी" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=कमलेश द्विवेदी |अनुवादक= |संग्रह= }...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
 
(कोई अंतर नहीं)

09:29, 25 दिसम्बर 2015 के समय का अवतरण

मुझसे दूरी यार न करना.
मेरे दिल पर वार न करना.

दिल में कुछ भी रखना लेकिन,
होठों से इनकार न करना.

दिल के बदले दर्द मिले तो,
दिल का कारोबार न करना.

साहिल तक लाकर कहते हो-
देखो,दरिया पर न करना.

लाख गुज़रना बाज़ारों से,
पर ख़ुद को बाज़ार न करना.
 
काँटों से डरते हो इतना,
तुम फूलों से प्यार न करना.

आज नहीं तो कल जीतोगे
हार कभी स्वीकार न करना.