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"रैम्प पर चलनेवाली लड़कियाँ / प्रदीप मिश्र" के अवतरणों में अंतर
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+ | ग्रीनरूम में पहुँचनेवाली इन लड़कियों को | ||
+ | आम की गुठली समझता है बाज़ार | ||
+ | बाजार सदियों से आम का शौकीन रहा है। | ||
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16:25, 2 जनवरी 2016 के समय का अवतरण
रैम्प पर चलनेवाली लड़कियाँ
ग्रीनरूम से निकलतीं
सधे कदमों से
चलतीं रैम्प पर
उनकी खूबसूरत अदाओं पर
पागल हो जाते दर्शक
लड़कियों की आत्मा और शरीर की ख़ूबसूरती
हाशिए पर हाँफ रही होती
और एक वस्तु की गुणवत्ता की तरह
आँक ली जातीं सारी लड़कियाँ
इन लड़कियों की आँखों में एक उड़ान होती है
वे पहुँच जाना चाहती हैं शीर्ष पर
परिणाम घोषित होता है जब तक
वे वापस पहुँच चुकी होतीं हैं ग्रीनरूम में
जज की निगाहों से बाजार तक
रैम्प पर चलनेवाली लड़कियाँ
चलते-चलते कहीं नहीं पहुँच पातीं
हर बार ग्रीनरूम से निकलकर
ग्रीनरूम में पहुँचनेवाली इन लड़कियों को
आम की गुठली समझता है बाज़ार
बाजार सदियों से आम का शौकीन रहा है।