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"आरसी / नज़ीर अकबराबादी" के अवतरणों में अंतर
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14:11, 19 जनवरी 2016 के समय का अवतरण
बनवा के एक आरसी हमने कहा कि लो।
पकड़ी कलाई उसकी जो वह शाख़सार<ref>शाख़ जैसी, कोमल</ref> सी।
लेकर बड़े दिमाग और देख यक बयक।
त्योरी चढ़ा के नाज़ में कुछ करके आरसी।
झुंझला के दूर फेंक दी और यूं कहा चै खु़श।
हम मारते हैं ऐसी अंगूठे पै आरसी।
शब्दार्थ
<references/>