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"कविता-दोय / विनोद स्वामी" के अवतरणों में अंतर

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21:33, 23 जनवरी 2016 के समय का अवतरण

एक तिरस्यो मिनख
ठंडां री दुकान करै।

एक भूखो मिनख
जळेबी बेचै।

एक घरबायरो आदमी
हेली चिणै।

आ तो कोई अचंभावाळी बात कोनी

पण
एक चापलूस मिनख
कविता लिखै!