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"प्रार्थना - 8 / प्रेमघन" के अवतरणों में अंतर

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11:34, 3 फ़रवरी 2016 के समय का अवतरण

नव नील नीरद निकाई तन जाकी जापै,
कोटि काम अभिराम निदरत वारे हैं।
प्रेमघन बरसत रस नागरीन मन,
सनकादि शंकर हू जाको ध्यान धारे हैं॥
जाके अंस तेज दमकत दुति सूर ससि,
घूमत गगन मैं असंख्य ग्रह तारे हैं।
देवकी के बारे जसुमति प्रान प्यारे,
सिर मोर पुच्छ वारे वे हमारे रखवारे हैं॥