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"प्रार्थना - 14 / प्रेमघन" के अवतरणों में अंतर

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12:00, 3 फ़रवरी 2016 का अवतरण

कुछ कठिनाई की कहौ तो कैन समता है,
करद कटाछन की काट किहि तौर है।
मृदु मुसुक्यानि की मजा औ माधुरी अधर,
पिय को सजोग सुख और किहि ठौर है॥
प्रेमघनहूँ को त्यों पियूष वर्षा विनोद,
अनुभव रसिक बिचारैं करि गौर है।
रहनि सहनि सुमुखीन की सुजैसैं और,
वैसैं सुकवीन की कहनि कछु और है॥