"हैं जितनी परतें यहाँ आसमान में शामिल / गौतम राजरिशी" के अवतरणों में अंतर
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+ | (हंस फरवरी 2012, प्रगतिशील वसुधा अंक 92) |
20:50, 12 फ़रवरी 2016 के समय का अवतरण
हैं जितनी परतें यहां आसमान में शामिल
सभी हुईं मेरी हद्दे-उड़ान में शामिल
बढ़ा है शह्र में रुतबा ज़रा हमारा भी
हुए हैं जब से हम उनके बयान में शामिल
उछाल यूँ ही नहीं बढ़ गई है लहरों की
नदी का ज़ोर भी है कुछ, ढ़लान में शामिल
धुआँ, गुबार, परिंदे, तपिश, घुटन, ख़ुश्बू
हैं बोझ कितने, हवा की थकान में शामिल
थीं क़िस्त जितनी भी ख़्वाबों की बेहिसाब पड़ी
किया है नींद ने सबको लगान में शामिल
बुझी ज़रूर है, लेकिन धुयें की एक लकीर
है अब भी शम्अ के सुलगे गुमान में शामिल
सुना है नाम से तेरे हैं बिकते अफ़साने
मुझे भी कर ले कभी दास्तान में शामिल
कुचल के रख दो भले तुम सवाल सारे अभी
कभी तो होगे मेरे इम्तिहान में शामिल
ज़रा-सी दोस्ती क्या काफ़ियों ने की हमसे
किया ग़ज़ल ने हमें ख़ानदान में शामिल
(हंस फरवरी 2012, प्रगतिशील वसुधा अंक 92)