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"सीखो आँखें पढ़ना साहिब / गौतम राजरिशी" के अवतरणों में अंतर
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|रचनाकार=गौतम राजरिशी | |रचनाकार=गौतम राजरिशी | ||
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उसने खद्दर पहना साहिब | उसने खद्दर पहना साहिब | ||
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+ | (द्विमासिक आधारशिला, जनवरी-फरवरी 2009) |
18:35, 14 फ़रवरी 2016 के समय का अवतरण
सीखो आँखें पढ़ना साहिब
होगी मुश्किल वरना साहिब
सम्भल कर इल्जाम लगाना
उसने खद्दर पहना साहिब
तिनके से सागर नापेगा
रख ऐसे भी हठ ना साहिब
दीवारें किलकारी मारे
घर में झूले पलना साहिब
पूरे घर को महकाता है
माँ का माला जपना साहिब
सब को दूर सुहाना लागे
क्यूं ढ़ोलों का बजना साहिब
कायनात सारी ठहरा दे
उस आँचल का ढ़लना साहिब
(द्विमासिक आधारशिला, जनवरी-फरवरी 2009)