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"जब छेड़ा मुजरिम का क़िस्सा / गौतम राजरिशी" के अवतरणों में अंतर
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|रचनाकार=गौतम राजरिशी | |रचनाकार=गौतम राजरिशी | ||
− | |संग्रह= | + | |संग्रह=पाल ले इक रोग नादाँ / गौतम राजरिशी |
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<poem> | <poem> | ||
− | जब छेड़ा मुजरिम का | + | जब छेड़ा मुजरिम का क़िस्सा |
− | + | उट्ठा फिर हाकिम का क़िस्सा | |
− | + | लड़ती शब भर आँधी से जो | |
− | लिख उस लौ मद्धिम का | + | लिख उस लौ मद्धिम का क़िस्सा |
सुन लो सुन लो पूरब वालों | सुन लो सुन लो पूरब वालों | ||
− | सूरज से पश्चिम का | + | सूरज से पश्चिम का क़िस्सा |
छोड़ो तो पिंजरे का पंछी | छोड़ो तो पिंजरे का पंछी | ||
− | गायेगा | + | गायेगा ज़ालिम का क़िस्सा |
जलती बस्ती की गलियों से | जलती बस्ती की गलियों से | ||
− | सुन हिंदू-मुस्लिम का | + | सुन हिंदू-मुस्लिम का क़िस्सा |
बूढ़े मालिक का शव बोले | बूढ़े मालिक का शव बोले | ||
− | दुनिया से | + | दुनिया से ख़ादिम का क़िस्सा |
कहती हैं बारिश की बूंदें | कहती हैं बारिश की बूंदें | ||
− | सुन लो तुम रिमझिम का | + | सुन लो तुम रिमझिम का क़िस्सा |
− | + | ||
− | + | ||
+ | (युगीन काव्या, जुलाई-सितम्बर 2009) |
19:36, 14 फ़रवरी 2016 के समय का अवतरण
जब छेड़ा मुजरिम का क़िस्सा
उट्ठा फिर हाकिम का क़िस्सा
लड़ती शब भर आँधी से जो
लिख उस लौ मद्धिम का क़िस्सा
सुन लो सुन लो पूरब वालों
सूरज से पश्चिम का क़िस्सा
छोड़ो तो पिंजरे का पंछी
गायेगा ज़ालिम का क़िस्सा
जलती बस्ती की गलियों से
सुन हिंदू-मुस्लिम का क़िस्सा
बूढ़े मालिक का शव बोले
दुनिया से ख़ादिम का क़िस्सा
कहती हैं बारिश की बूंदें
सुन लो तुम रिमझिम का क़िस्सा
(युगीन काव्या, जुलाई-सितम्बर 2009)