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"पावस - 6 / प्रेमघन" के अवतरणों में अंतर
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::बक औलि अकास उड़ान लगी॥ | ::बक औलि अकास उड़ान लगी॥ | ||
पिक चातक दादुर मोरन की, | पिक चातक दादुर मोरन की, | ||
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घन प्रेम पसारत सी मन मैं, | घन प्रेम पसारत सी मन मैं, | ||
::घनघोर घटा घहरान लगी॥ | ::घनघोर घटा घहरान लगी॥ | ||
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12:12, 22 फ़रवरी 2016 के समय का अवतरण
खिलि मालती बेलि प्रफुल्ल कदम्बन,
पैं लपटी लहरान लगी।
सनकै पुरवाई सुगन्ध सनी,
बक औलि अकास उड़ान लगी॥
पिक चातक दादुर मोरन की,
कल बोल महान सुहान लगी।
घन प्रेम पसारत सी मन मैं,
घनघोर घटा घहरान लगी॥