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"शरद - 2 / प्रेमघन" के अवतरणों में अंतर

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15:17, 22 फ़रवरी 2016 के समय का अवतरण

उदोत है पूरब सों वह पूरब, सो पैं न जान्यो परै छल छन्द।
अपूरब कैसो अपूरब हूँ तैं, लखात जो पूरो प्रकास अमन्द॥
दोऊ बरसैं घन प्रेम सुधा, चित चोर चकोरहि देत अनन्द।
निसा सुभ सारद पूनव माँहि, लखे जुग सारद पूनव चन्द॥