"जिनगी सगर छै / कुंदन अमिताभ" के अवतरणों में अंतर
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− | + | ऐ तरुण देश रोॅ भूलोॅ नै, छौं कठिन परीक्षा तोरोॅ | |
− | छै | + | देश विथा सें दूर कहाँ, भटकै छौं मन तोरोॅ |
− | + | ऊ दीप शिखा जे जललोॅ छै, दूर क्षितिज के कोना में। | |
− | + | ज्ञानदीप ऊ तोरोॅ छेकौं, दूरेॅ कैन्हेॅ रखलोॅ छौं | |
− | + | बूझै के पहिले पहुँचोॅ, तेज बहुत तेज तोंय दौड़ोॅ | |
− | + | भरतवंश के मान धरोहर, तोरे आस में धरलोॅ छौं | |
− | + | चाहत रहौं अधूरा नै, नै रहौं अधूरा सपना | |
− | + | काँटोॅ- कूसोॅ जत्ते भी हुअेॅ, रूकौं नै पग तोरोॅ। | |
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− | + | सात सुरोॅ में साथ बँधी केॅ, तार बीन के बजलोॅ छै | |
− | + | नागिन संग नागोॅ भी नाचै, कठिन घड़ी काल के एैलोॅ छै | |
− | + | बीन बाज पर जे नै नाचै, ऊ बैठलोॅ छै नेठुआय | |
− | + | सीना तानी निडर ऊ बोलै, कहाँ लड़ै लेॅ के बचलोॅ छै | |
− | + | श्ब शहीद रोॅ सपना तोड़ी, छूछ्छे बजबै गाल वहीं | |
+ | हास-विलास छोड़ी के साथी, दिशा देश रोॅ मोड़ोॅ। | ||
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+ | देश समस्या सें जूझै छै, भूखोॅ सें जन-मन कानै छै | ||
+ | ताल, तराई तलहट्टी में, लोगें थूकोॅ सें सत्तू सानै छै | ||
+ | शहर-शहर में पैसा गाड़ी, वें झूठ्ठेॅ भाषण खूब बखानै छै | ||
+ | पितमरूवोॅ छै लोग देश के, जे नै ओकरोॅ कब्बर खानै छै | ||
+ | नस-नस में लैकेॅ नया खून, जौं बढ़भेॅ तेॅ मंजिल मिलथौं | ||
+ | ेन्हां में ऐ तरुण देश रोॅ, खाली-खाली एक भरोसा तोरोॅ। | ||
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+ | गति काल रोॅ रोकोॅ तोंय, जंजीरोॅ केॅ झकझोरोॅ | ||
+ | बंधन-बाधा आभौं जे रसता में, वै बंधन केॅ तोड़ोॅ | ||
+ | जड़ छूबी लेनें छौं यै कीड़ा, राह कठिन नै थोड़ोॅ | ||
+ | तूफानोॅ के ताकत लै चलिहोॅ, तनियो नै तोंय डरिहोॅ | ||
+ | किरण आस तोरेह पर टिकलोॅ, जागोॅ होलै सबेरा। | ||
+ | लेॅ कुदाल जड़ जंग उखाड़ोॅ, धरती तक ओकरा कोड़ोॅ | ||
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08:28, 13 मई 2016 का अवतरण
ऐ तरुण देश रोॅ भूलोॅ नै, छौं कठिन परीक्षा तोरोॅ
देश विथा सें दूर कहाँ, भटकै छौं मन तोरोॅ
ऊ दीप शिखा जे जललोॅ छै, दूर क्षितिज के कोना में।
ज्ञानदीप ऊ तोरोॅ छेकौं, दूरेॅ कैन्हेॅ रखलोॅ छौं
बूझै के पहिले पहुँचोॅ, तेज बहुत तेज तोंय दौड़ोॅ
भरतवंश के मान धरोहर, तोरे आस में धरलोॅ छौं
चाहत रहौं अधूरा नै, नै रहौं अधूरा सपना
काँटोॅ- कूसोॅ जत्ते भी हुअेॅ, रूकौं नै पग तोरोॅ।
सात सुरोॅ में साथ बँधी केॅ, तार बीन के बजलोॅ छै
नागिन संग नागोॅ भी नाचै, कठिन घड़ी काल के एैलोॅ छै
बीन बाज पर जे नै नाचै, ऊ बैठलोॅ छै नेठुआय
सीना तानी निडर ऊ बोलै, कहाँ लड़ै लेॅ के बचलोॅ छै
श्ब शहीद रोॅ सपना तोड़ी, छूछ्छे बजबै गाल वहीं
हास-विलास छोड़ी के साथी, दिशा देश रोॅ मोड़ोॅ।
देश समस्या सें जूझै छै, भूखोॅ सें जन-मन कानै छै
ताल, तराई तलहट्टी में, लोगें थूकोॅ सें सत्तू सानै छै
शहर-शहर में पैसा गाड़ी, वें झूठ्ठेॅ भाषण खूब बखानै छै
पितमरूवोॅ छै लोग देश के, जे नै ओकरोॅ कब्बर खानै छै
नस-नस में लैकेॅ नया खून, जौं बढ़भेॅ तेॅ मंजिल मिलथौं
ेन्हां में ऐ तरुण देश रोॅ, खाली-खाली एक भरोसा तोरोॅ।
गति काल रोॅ रोकोॅ तोंय, जंजीरोॅ केॅ झकझोरोॅ
बंधन-बाधा आभौं जे रसता में, वै बंधन केॅ तोड़ोॅ
जड़ छूबी लेनें छौं यै कीड़ा, राह कठिन नै थोड़ोॅ
तूफानोॅ के ताकत लै चलिहोॅ, तनियो नै तोंय डरिहोॅ
किरण आस तोरेह पर टिकलोॅ, जागोॅ होलै सबेरा।
लेॅ कुदाल जड़ जंग उखाड़ोॅ, धरती तक ओकरा कोड़ोॅ