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"नूनू बाबू सिनी सें / अमरेन्द्र" के अवतरणों में अंतर

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अरे बुतरुआ पिहनें   चश्मा
+
1
होय वाला छौ नया  करिश्मा
+
सूँढ़ गणेशोॅ के जे लागै
जे नै चाहै  पढ़ै-लिखै लेॅ
+
कभी गणेशोॅ केरोॅ पेट
तहियो   ऊँचे-ऊँच चढ़ै लेॅ
+
ओकरोॅ वास्तें बात बरोबर
कोय मायने में ज्ञान नै कम
+
की छत-छप्पर, धरती-हेट ।
पन्नीये  रँ बुद्धि चमचम
+
-कद्दू
ओकरो लेॅ छै अवसर चानी
+
2
है ले एक सौ  एक पिहानी
+
एक गणेश जी हेनोॅ देखलां
अरे    बुतरुआ    इन्टु-पिन्टु
+
सूँढ़ कमर  सें  लटकै   छै
आनलेॅ छियौ  नया  निघण्टु
+
भरी-भरी लड्डू की मिलतै
घोकें,  दुसरौ  केॅ घोकबाव
+
एक चौॅर लेॅ  भटकै छै ।
अबकी नै  छोड़ना  छै  दाव
+
-मूसोॅ
तहूँ बहावें ज्ञान  रोॅ  बोहोॅ
+
3
पंडित-ज्ञानी मानतौ लोहोॅ
+
माथा पर छै मुकुट बिराजै
 +
मुँह के नीचें छोटका सूँढ़
 +
बगुलौ सें जादा बगबग छै
 +
जेकरोॅ बोली तिलकुट-गूड़ ।
 +
-शंख
 +
4
 +
कारोॅ बदरा  धरती    पर
 +
देखी दुश्मन थर, थर, थर
 +
घूमै    सबके   घरे घर
 +
मारोॅ तेॅ छिलकै  ऊपर ।
 +
-छाता
 +
5
 +
बेटा दुबरोॅ  कोठी बाप
 +
ब्रह्मा के देलोॅ छै शाप
 +
ओॅन जरो नै कभियो खाय
 +
पानी पीयै ओछरी जाय ।
 +
-गिलास-लोटा
 +
6
 +
एक ठो हेनोॅ छाता  छै
 +
तनलोॅ रहै जे  सालो  भर
 +
छाता में सौ भुरकी झलकै
 +
कपड़ा उड़ै छै  फर-फर-फर
 +
जोॅर-जनानी मर-मरदाना
 +
गैया-बकरी ओकरे तर ।
 +
-झबरोॅ गाछ
 +
7
 +
एक छड़ी पर अण्डा नाचै
 +
जै में चिड़ियाँ आवै-जावै
 +
अण्डे गिरै नै छड़िये डोलै
 +
कत्तो कोय्यो जोर लगावै ।
 +
-गाछ
 +
8
 +
भरी मुँहोॅ में ऐला-गोटी
 +
जतना बोली तित्तोॅ छै
 +
मुँह लटकैनें झुलतें रहतौं
 +
सब्भे बल पर जीत्तोॅ छै ।
 +
-करेला
 +
9
 +
एकठो बूढ़ोॅ हेनो भी छै
 +
नाक, कान, जी, कुछुवो नै
 +
भरी मुँह बस दाँते देखोॅ
 +
बोलें; फेरू पूछुवौ नै
 +
-भुट्टा
 +
 
 +
10
 +
लाल पटोरी पिन्ही डायन
 +
जखनी जेकरा चाहै खाय
 +
खाय वक्ती नै पानी पीयै
 +
पीयै तेॅ ऊ मरिये जाय ।
 +
-आगिन
 +
 
 
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10:51, 17 मई 2016 का अवतरण

1
सूँढ़ गणेशोॅ के जे लागै
कभी गणेशोॅ केरोॅ पेट
ओकरोॅ वास्तें बात बरोबर
की छत-छप्पर, धरती-हेट ।
-कद्दू
2
एक गणेश जी हेनोॅ देखलां
सूँढ़ कमर सें लटकै छै
भरी-भरी लड्डू की मिलतै
एक चौॅर लेॅ भटकै छै ।
-मूसोॅ
3
माथा पर छै मुकुट बिराजै
मुँह के नीचें छोटका सूँढ़
बगुलौ सें जादा बगबग छै
जेकरोॅ बोली तिलकुट-गूड़ ।
-शंख
4
कारोॅ बदरा धरती पर
देखी दुश्मन थर, थर, थर
घूमै सबके घरे घर
मारोॅ तेॅ छिलकै ऊपर ।
-छाता
5
बेटा दुबरोॅ कोठी बाप
ब्रह्मा के देलोॅ छै शाप
ओॅन जरो नै कभियो खाय
पानी पीयै ओछरी जाय ।
-गिलास-लोटा
6
एक ठो हेनोॅ छाता छै
तनलोॅ रहै जे सालो भर
छाता में सौ भुरकी झलकै
कपड़ा उड़ै छै फर-फर-फर
जोॅर-जनानी मर-मरदाना
गैया-बकरी ओकरे तर ।
-झबरोॅ गाछ
7
एक छड़ी पर अण्डा नाचै
जै में चिड़ियाँ आवै-जावै
अण्डे गिरै नै छड़िये डोलै
कत्तो कोय्यो जोर लगावै ।
-गाछ
8
भरी मुँहोॅ में ऐला-गोटी
जतना बोली तित्तोॅ छै
मुँह लटकैनें झुलतें रहतौं
सब्भे बल पर जीत्तोॅ छै ।
-करेला
9
एकठो बूढ़ोॅ हेनो भी छै
नाक, कान, जी, कुछुवो नै
भरी मुँह बस दाँते देखोॅ
बोलें; फेरू पूछुवौ नै ।
-भुट्टा

10
लाल पटोरी पिन्ही डायन
जखनी जेकरा चाहै खाय
खाय वक्ती नै पानी पीयै
पीयै तेॅ ऊ मरिये जाय ।
-आगिन