"नूनू बाबू सिनी सें / अमरेन्द्र" के अवतरणों में अंतर
Rahul Shivay (चर्चा | योगदान) ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=अमरेन्द्र |अनुवादक= |संग्रह=एक छड...' के साथ नया पृष्ठ बनाया) |
Rahul Shivay (चर्चा | योगदान) |
||
पंक्ति 8: | पंक्ति 8: | ||
{{KKCatBaalKavita}} | {{KKCatBaalKavita}} | ||
<poem> | <poem> | ||
− | + | 1 | |
− | + | सूँढ़ गणेशोॅ के जे लागै | |
− | + | कभी गणेशोॅ केरोॅ पेट | |
− | + | ओकरोॅ वास्तें बात बरोबर | |
− | + | की छत-छप्पर, धरती-हेट । | |
− | + | -कद्दू | |
− | + | 2 | |
− | + | एक गणेश जी हेनोॅ देखलां | |
− | + | सूँढ़ कमर सें लटकै छै | |
− | + | भरी-भरी लड्डू की मिलतै | |
− | + | एक चौॅर लेॅ भटकै छै । | |
− | + | -मूसोॅ | |
− | + | 3 | |
− | + | माथा पर छै मुकुट बिराजै | |
+ | मुँह के नीचें छोटका सूँढ़ | ||
+ | बगुलौ सें जादा बगबग छै | ||
+ | जेकरोॅ बोली तिलकुट-गूड़ । | ||
+ | -शंख | ||
+ | 4 | ||
+ | कारोॅ बदरा धरती पर | ||
+ | देखी दुश्मन थर, थर, थर | ||
+ | घूमै सबके घरे घर | ||
+ | मारोॅ तेॅ छिलकै ऊपर । | ||
+ | -छाता | ||
+ | 5 | ||
+ | बेटा दुबरोॅ कोठी बाप | ||
+ | ब्रह्मा के देलोॅ छै शाप | ||
+ | ओॅन जरो नै कभियो खाय | ||
+ | पानी पीयै ओछरी जाय । | ||
+ | -गिलास-लोटा | ||
+ | 6 | ||
+ | एक ठो हेनोॅ छाता छै | ||
+ | तनलोॅ रहै जे सालो भर | ||
+ | छाता में सौ भुरकी झलकै | ||
+ | कपड़ा उड़ै छै फर-फर-फर | ||
+ | जोॅर-जनानी मर-मरदाना | ||
+ | गैया-बकरी ओकरे तर । | ||
+ | -झबरोॅ गाछ | ||
+ | 7 | ||
+ | एक छड़ी पर अण्डा नाचै | ||
+ | जै में चिड़ियाँ आवै-जावै | ||
+ | अण्डे गिरै नै छड़िये डोलै | ||
+ | कत्तो कोय्यो जोर लगावै । | ||
+ | -गाछ | ||
+ | 8 | ||
+ | भरी मुँहोॅ में ऐला-गोटी | ||
+ | जतना बोली तित्तोॅ छै | ||
+ | मुँह लटकैनें झुलतें रहतौं | ||
+ | सब्भे बल पर जीत्तोॅ छै । | ||
+ | -करेला | ||
+ | 9 | ||
+ | एकठो बूढ़ोॅ हेनो भी छै | ||
+ | नाक, कान, जी, कुछुवो नै | ||
+ | भरी मुँह बस दाँते देखोॅ | ||
+ | बोलें; फेरू पूछुवौ नै । | ||
+ | -भुट्टा | ||
+ | |||
+ | 10 | ||
+ | लाल पटोरी पिन्ही डायन | ||
+ | जखनी जेकरा चाहै खाय | ||
+ | खाय वक्ती नै पानी पीयै | ||
+ | पीयै तेॅ ऊ मरिये जाय । | ||
+ | -आगिन | ||
+ | |||
</poem> | </poem> |
10:51, 17 मई 2016 का अवतरण
1
सूँढ़ गणेशोॅ के जे लागै
कभी गणेशोॅ केरोॅ पेट
ओकरोॅ वास्तें बात बरोबर
की छत-छप्पर, धरती-हेट ।
-कद्दू
2
एक गणेश जी हेनोॅ देखलां
सूँढ़ कमर सें लटकै छै
भरी-भरी लड्डू की मिलतै
एक चौॅर लेॅ भटकै छै ।
-मूसोॅ
3
माथा पर छै मुकुट बिराजै
मुँह के नीचें छोटका सूँढ़
बगुलौ सें जादा बगबग छै
जेकरोॅ बोली तिलकुट-गूड़ ।
-शंख
4
कारोॅ बदरा धरती पर
देखी दुश्मन थर, थर, थर
घूमै सबके घरे घर
मारोॅ तेॅ छिलकै ऊपर ।
-छाता
5
बेटा दुबरोॅ कोठी बाप
ब्रह्मा के देलोॅ छै शाप
ओॅन जरो नै कभियो खाय
पानी पीयै ओछरी जाय ।
-गिलास-लोटा
6
एक ठो हेनोॅ छाता छै
तनलोॅ रहै जे सालो भर
छाता में सौ भुरकी झलकै
कपड़ा उड़ै छै फर-फर-फर
जोॅर-जनानी मर-मरदाना
गैया-बकरी ओकरे तर ।
-झबरोॅ गाछ
7
एक छड़ी पर अण्डा नाचै
जै में चिड़ियाँ आवै-जावै
अण्डे गिरै नै छड़िये डोलै
कत्तो कोय्यो जोर लगावै ।
-गाछ
8
भरी मुँहोॅ में ऐला-गोटी
जतना बोली तित्तोॅ छै
मुँह लटकैनें झुलतें रहतौं
सब्भे बल पर जीत्तोॅ छै ।
-करेला
9
एकठो बूढ़ोॅ हेनो भी छै
नाक, कान, जी, कुछुवो नै
भरी मुँह बस दाँते देखोॅ
बोलें; फेरू पूछुवौ नै ।
-भुट्टा
10
लाल पटोरी पिन्ही डायन
जखनी जेकरा चाहै खाय
खाय वक्ती नै पानी पीयै
पीयै तेॅ ऊ मरिये जाय ।
-आगिन