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"कहिया चेततै / दिनेश बाबा" के अवतरणों में अंतर

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तब राम-राज होय जाय सगरो
 
तब राम-राज होय जाय सगरो
 
होय स्वर्ग समुच्चे तबेॅ यहाँ।
 
होय स्वर्ग समुच्चे तबेॅ यहाँ।
 
कहिया जैवै हे सजना
 
तोरोॅ ऐंगना।
 
रोज-रोज राती केॅ
 
सांझ दिया-बाती केॅ
 
भोर या पराती केॅ
 
तोरे सपना
 
झूमी आवै छै
 
आँखोॅ में तोरे सपना।
 
 
नैन हमरोॅ बोलै छै
 
दिल के राज खोलै छै
 
सखी सिनी डोलै छै
 
आगू पीछू ना
 
बात पूछै छै
 
खोदी-खोदी, तोरे सजना।
 
 
माय हमरोॅ गौना रोॅ
 
नाम लै छै पहुना रोॅ
 
रोजे आबेॅ ना
 
छेड़ीं भौजीं
 
कहै छै हरदम
 
ऐलै पहुना।
 
सखिया-सहेली में
 
साली-हमजोली में
 
चुनरी आरू चोली में
 
अबरी के होली में
 
रंग डालै ना
 
अब तेॅ आबी जा
 
हे बालम तोहें केहुना।
 
 
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22:12, 1 जून 2016 के समय का अवतरण

सोना के चिड़िया छै भारत
ई भरम नैं अब तांय टुटलोॅ छै
लुटलेॅ रहै पहिनें दोसरा नें
अखनी आपन्हे नें लुटलेॅ छै।

की जश्न मनावौं आय सब्भे
है स्वर्ण जयंती आजादी पर
आँसू भिंजलोॅ मानवता पर
लहुवोॅ में सानलोॅ खादी पर।

आइयो नैं बहुता केॅ नशीब
देहो झाँपै लेॅ कपड़ा छै
पेटोॅ लेली बिकथैं छै तन
होकर्हौ में कत्तेॅ लफड़ा छै।

हुनकोॅ चमड़ी पर आब कहाँ
जे राष्ट्र के रीढ़ कहावै छै
मिटलै नैं भूख कभी हुनकोॅ
जे सौंसे उमिर कमावै छै।

दुःख, दरद, समस्या थोड़े सन
तय्यो मिलै छै थाहे नैं
मिटल्हौं यदि भूख तेॅ माथा पर
हुनकोॅ होय छै कभी छाँहे नैं।

होकरा नैं चिन्ता जनता के
जे हुनके नाम के खाय छथिन
हुनके जनमत के ताकत पर
संसद में चुनी केॅ जाय छथिन।

अब करौं शिकायत केकरा सें
झलकै छै कहीं उपाय्ये नैं
जननेता जे कहलाय छथिन
हुनखाय कुच्छो परवाय्ये नैं।

नेता जौं होय जाय ईमनदार
देशोॅ के बेमारी तबेॅ कहाँ
तब राम-राज होय जाय सगरो
होय स्वर्ग समुच्चे तबेॅ यहाँ।