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"बहन के घर / प्रेमरंजन अनिमेष" के अवतरणों में अंतर
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मैं तो हुई तबाह तबाह
कुछ भी करने देते हैं कब
हैं शैतान तीन-तीन
फिर भी कैसे-कैसे कर यह
कुछ मीठा कुछ-कुछ नमकीन
देखो बना रखा था आकर
तुम पाओगे
जाने लगा किस तरह मुझको
तुम आओगे
लाती बहन थाल में क्या-क्या
खाता खूब सराह सराह...