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"बहन के घर / प्रेमरंजन अनिमेष" के अवतरणों में अंतर

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04:20, 6 जून 2016 के समय का अवतरण

मैं तो हुई तबाह तबाह

कुछ भी करने देते हैं कब
हैं शैतान तीन-तीन
फिर भी कैसे-कैसे कर यह
कुछ मीठा कुछ-कुछ नमकीन

देखो बना रखा था आकर
तुम पाओगे
जाने लगा किस तरह मुझको
तुम आओगे

लाती बहन थाल में क्‍या-क्‍या
खाता खूब सराह सराह...