भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

Changes

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
{{KKCatGeet}}
<poem>
ऐलै भादोॅ कोयलिया नकाय नुकाय गेलै हे
फूल कासोॅ के उजरोॅ फूलाय गेलै हे
की-की कनखी सेॅ बिजुरी बताइये गेलै
केना निरमोही डगरी भुलाय गेलै हे
ऐलै भादोॅ कोयलिया नकाय नुकाय गेलै हे
उमड़ी केॅ मारै छै ननदी नेॅ जोर
रसें-रसें टूटे छै देह पोर-पोर
साँझ भेलै नै, झिंगली फुलाय गेलै हे
ऐलै भादोॅ कोयलिया नकाय नुकाय गेलै हे
रहै शुक्कर सेॅ घेरलोॅ शनिच्चर तांय मेघ
बरसै जरूर ई घाघोॅ के टेक
मतुर पियवां तेॅ जियरा कुढाय गेलै हे
ऐलै भादो कोयलिया नकाय नुकाय गेलै हे
</poem>
Mover, Protect, Reupload, Uploader
6,574
edits