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− | क्यों मैं मानकर चल रहा हूँ कि मेरे जिबह होने पर | + | क्यों मैं पंख फड़फड़ाने, चीखने और चुपचाप मर जाने में |
− | कहीं कुछ होगा नहीं | + | इतना विश्वास करने लगा हूँ |
− | क्यों मैं खाने मे लजीज लगने की तैयारी में जुटा हूँ | + | क्यों मैं मानकर चल रहा हूँ कि मेरे जिबह होने पर |
− | क्यों मैं बेतरह नस्ल का मुर्गा बनने की प्रतियोगिता मं शामिल हूँ | + | कहीं कुछ होगा नहीं |
+ | क्यों मैं खाने मे लजीज लगने की तैयारी में जुटा हूँ | ||
+ | क्यों मैं बेतरह नस्ल का मुर्गा बनने की प्रतियोगिता मं शामिल हूँ | ||
और क्यों मैं आपसे चाह रहा हूँ कि कृपया आप मुझे मनुष्य ही समझे । | और क्यों मैं आपसे चाह रहा हूँ कि कृपया आप मुझे मनुष्य ही समझे । | ||
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03:58, 15 जून 2016 के समय का अवतरण
मैं क्यों अनजान बना बैठा हूँ
जैसे मुर्गा हूँ
क्यों कुकड़ू कूँ करता घूम रहा हूँ
जैसे मैं बिल्कुल बैचेन नहीं हूँ
क्यों अपनी कलगी पर कुछ ज्यादा इतराने लगा हूँ
क्यों पिंजड़े में बन्द जब कसाई की दूकान पर
ले जाया जा रहा हूँ तो
ऐसा बेपरवाह नजर आ रहा हूँ जैसे कि सैर पर जा रहा हूँ
क्यों मैं पंख फड़फड़ाने, चीखने और चुपचाप मर जाने में
इतना विश्वास करने लगा हूँ
क्यों मैं मानकर चल रहा हूँ कि मेरे जिबह होने पर
कहीं कुछ होगा नहीं
क्यों मैं खाने मे लजीज लगने की तैयारी में जुटा हूँ
क्यों मैं बेतरह नस्ल का मुर्गा बनने की प्रतियोगिता मं शामिल हूँ
और क्यों मैं आपसे चाह रहा हूँ कि कृपया आप मुझे मनुष्य ही समझे ।