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देह के जमे शिलाखण्ड से
मैं उतार कर अपनी केंचुली
समा देना चाहती है हूँ ख़ुद को
सख़्त चट्टानों के बीच
इतने क़रीब कि वह सोख ले मेरा उद्दाम ज्वर
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