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"कृष्ण सुदामा चरित्र / शिवदीन राम जोशी / पृष्ठ 11" के अवतरणों में अंतर

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कहीं देवता ब्राह्मण पण्डित,
 
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गीता का रहस्य सुनते थे |
 
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कहीं वेद ध्वनि सुन पड़ती थी,
 
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कहीं मनहर साज सजाते थे |
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कहीं भक्त जय बोल  बोलकर,
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आनन्द उर न समाते थे |
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21:08, 22 जून 2016 का अवतरण

कहीं हो रहा हरि कीर्तन,
कृष्ण कृष्ण गुण गाते थे,
कहीं देवता ब्राह्मण पण्डित,
गीता का रहस्य सुनते थे |
कहीं वेद ध्वनि सुन पड़ती थी,
कहीं मनहर साज सजाते थे,
कहीं भक्त जय बोल बोलकर,
आनन्द उर न समाते थे |