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"सुन कोयल / श्रीउमेश" के अवतरणों में अंतर

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कोमल करिया रं छै, मोहै सगरो जहान
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सुन कोयल तों मत बोल कुछु
बिजली पीताम्बर के भान दरसावै छै
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बरसात झमाझम छौ लखनी
रस के समुद्र उमड़ैलें नभ मंडल में
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घनघोर कठोर निनाद करै
घन-घन के नादोॅ में बौंसली बजावै छै
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स्वर दादुर झिंगुर के झखनी ।।
बौगला के पाँती मोती माला सोहै केसोॅ पर
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चुपचाप रहें तरु खोढ़र में  
विविध विलास मुक्त रस बरसावै छै ।
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बनि केॅ चिपकें-चिपकें एखनी
सावनोॅ के बादलोॅ के रूप धरी ‘श्री उमेश’
+
करिहें मृदु गायन पंचम में,
व्रज के बिहारी लाल नन्दलाल आवै छै ।
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रितु कन्त वसन्त जगौ जखनी ।।
  
 
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21:29, 22 जून 2016 के समय का अवतरण

सुन कोयल तों मत बोल कुछु
बरसात झमाझम छौ लखनी ।
घनघोर कठोर निनाद करै
स्वर दादुर झिंगुर के झखनी ।।
चुपचाप रहें तरु खोढ़र में
बनि केॅ चिपकें-चिपकें एखनी ।
करिहें मृदु गायन पंचम में,
रितु कन्त वसन्त जगौ जखनी ।।