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"कृष्ण सुदामा चरित्र / शिवदीन राम जोशी / पृष्ठ 15" के अवतरणों में अंतर
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21:10, 24 जून 2016 का अवतरण
बोले घनश्याम याद है कुछ,
जब हम-तुम दोनों पढ़ते थे |
थी कृपा गुरु की अपने पर,
पढ़-पढ़ के आगे बढ़ते थे |
है बात याद बन में भेजे,
सब हाल कहे प्रभु दर्शाके |
उस समय रहे बन माहिं दोऊ,
घबराए मारे वर्षा के |
दिल चिंता बढ़ी गुरूजी के,
कारण आंधी के आने से |
बिजली की तड़क निराली थी,
और पानी के बढ़ जाने से |
एक वृक्ष की ओट में, तुम हम बैठे जाय |
वर्षा रुकती थी नहीं, लीनी क्षुधा सताय |