भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"रतजगा / जयप्रकाश मानस" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
(New page: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=जयप्रकाश मानस |संग्रह=होना ही चाहिए आंगन / जयप्रकाश मा...)
 
(कोई अंतर नहीं)

21:10, 3 मार्च 2008 के समय का अवतरण

चूहा

नहीं कुतर सकता

तरकारी, रोटी, फल या नींव

अंधेरे की आड़ में भी

नज़रों से बचकर

सेंधमार चोर की तरह

होती भर रहे आवाज़


चूहा मारने के लिए

कतई ज़रूरी नहीं

सौ जनों की

बस

कोई एक गाता रहे बीच-बीच में

अपनी बारी के रतजगे में


देखना

सुबह तक साबुत बच जायेगा

घर

यानी सभी भाइयों का सपना

चूहों से