भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"कैसोवरी, हमारे द्वीप में आना मत / जयप्रकाश मानस" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
(New page: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=जयप्रकाश मानस |संग्रह=होना ही चाहिए आंगन / जयप्रकाश मा...)
 
(कोई अंतर नहीं)

21:14, 3 मार्च 2008 के समय का अवतरण

कैसोवरी*

हमारे द्वीप में मत आना

धूप तुम्हें रुचता नहीं

न ही पसंद मनुष्य का साथ

अप्रतिम सौंदर्य स्वामिनी

होने के बावजूद भी तुमने

छुपा ली है छुरा पंजे में

जैसे विषकन्या


कैसोवरी

हम चिड़िया होकर भी शामिल है

मनुष्य की कविता में

देह में हीमोग्लोबिन की तरह

वृक्ष में क्लोरोफिल की तरह

नदी में बहते जल की तरह

खेत में अन्न की तरह


कैसोवरी हम लामबंद है

खेलते-कूदते नये बच्चों से आबाद द्वीप में

किसी भी आक्रमण के लिए

भूलकर भी आना मत

हमारे द्वीप में



आस्ट्रलिया और गुएना में पाई जाने वाली बेहद सुंदर किन्तु ख़तरनाक चिड़िया, जिसे मनुष्य की हत्या करने में संकोच नहीं होता ।