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"भजन बिना कोऊ पार न पावे / संत जूड़ीराम" के अवतरणों में अंतर

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भजन बिना कोऊ पार न पावे।
जप तप जोग जग्य वृत पूजा विकट विहाल कष्ट कर धावे।
मन की दौर अनेक भाव की कर्म धर्म कर नाच नचावे।
मूल मेंट साखी को जकड़ो अंतकाल जीव प्रले गयावै।
जूड़ीराम शब्द बिन चीन्हें सत्त असत्त दृष्टि नहिं आवे।