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"झूला झूलन हम लागी हो रामा (कजली) / खड़ी बोली" के अवतरणों में अंतर
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18:40, 13 जुलाई 2008 के समय का अवतरण
♦ रचनाकार: अज्ञात
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झूला झूलन हम लागी हो रामा, मिल गए साजनवा।
आज तलक हम किन्हीं न बतियाँ, साजन देखे घर की छतियाँ,
नैना से नैना मिलाए न रामा, मिल गए साजनवा।
एक सखि मोरे ढिंग आई, आँख दिखा मोहे बात सुनाई
ऎसी क्यूं रूठी साजन से, फिर गए साजनवा।
मैं बोली सखि लाज की मारी, गोरी हँसती दे-दे तारी,
कैसी करूँ अब जतन बताय सखि, मिल जायें साजनवा।
('कविता कोश' में 'संगीत'(सम्पादक-काका हाथरसी) नामक पत्रिका के अक्तूबर 1945 के अंक से)