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"छुहाउ रूह जो भुणिके थो इएं! / अर्जुन हासिद" के अवतरणों में अंतर
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− | + | छुहाउ रूह जो भुणिके थो इएं! | |
− | + | पिपर जो पनु बि त लरिजे़ थो इएं! | |
− | + | का सार कंहिंजी अचानक आई, | |
− | + | को आहे दर्द जो सोचे थो इएं! | |
− | + | थकल का राह, लंघे वण हेठां, | |
− | + | घड़ियूं ॿ दर ते को तरिसे थो इएं! | |
− | + | हिंअर त साहु बि सुरहो सुरहो, | |
− | + | अङण मंे वलि ते को हिरखे थो इएं! | |
− | + | सिकी सिकी का पुनी आस अथसि, | |
− | + | विहारे भरि में बि ॻोल्हे थो इएं! | |
− | + | किथां ज़रूरी नियापे वांगुर, | |
− | + | अची सो वक्तु बि पहुचे थो इएं! | |
− | + | करे चपनि में थो भुणि-भुणि हासिद, | |
− | + | हा अॼु जो शख़्स त सुॾिके थो इएं! | |
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23:24, 22 अगस्त 2016 के समय का अवतरण
छुहाउ रूह जो भुणिके थो इएं!
पिपर जो पनु बि त लरिजे़ थो इएं!
का सार कंहिंजी अचानक आई,
को आहे दर्द जो सोचे थो इएं!
थकल का राह, लंघे वण हेठां,
घड़ियूं ॿ दर ते को तरिसे थो इएं!
हिंअर त साहु बि सुरहो सुरहो,
अङण मंे वलि ते को हिरखे थो इएं!
सिकी सिकी का पुनी आस अथसि,
विहारे भरि में बि ॻोल्हे थो इएं!
किथां ज़रूरी नियापे वांगुर,
अची सो वक्तु बि पहुचे थो इएं!
करे चपनि में थो भुणि-भुणि हासिद,
हा अॼु जो शख़्स त सुॾिके थो इएं!