भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"वर्तमान दीन दृश्य / प्रेमघन" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=बदरीनारायण चौधरी 'प्रेमघन' |संग्र...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
 
(कोई अंतर नहीं)

03:03, 25 अगस्त 2016 के समय का अवतरण

हा दत्तापुर रह्यो गाँव जो देस उजागर।
गमनागमन मनुज समूह जित रहत निरंतर॥८४॥

जिनके आवत जात परे पथ चारहुँ ओरन।
देत बताय पथिक अनजानेहुँ भूले भोरन॥८५॥

सो न जानि अब परै कहाँ किहि ओर अहै वह।
जानेहुँ चीन्हि परै न कैसहूँ अहै वहै यह॥८६॥