"पल्लो लटके / राजस्थानी" के अवतरणों में अंतर
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07:21, 9 सितम्बर 2016 के समय का अवतरण
अँखियों में छोटे-छोटे सपने सजाइके
बहियों में निंदिया के पंख लगाइके
चँदा में झूले मेरी बिटिया रानी
चाँदनी रे झूम, हो, चाँदनी रे झूम ...
यही तो कली है प्यारी मेरी सारी बगिया में
मैंने यही मोती पाया जीवन नदिया में
ममता लुटाऊं ऐसी मच जाए धूम
चाँदनी रे झूम, हो, चाँदनी रे झूम ...
निंदिया के संग-संग राजा कोई आएगा
बिंदिया लगाएगा रे माला पहनाएगा
लेगा फिर प्यारे-प्यारे मुखड़े को चूम
चाँदनी रे झूम, हो, चाँदनी रे झूम ...
आ: ( पल्लो लटके रे म्हारो पल्लो लटके ) २
ज़रा सा टेढ़ो हो जा बालमा म्हारो पल्लो लटके
कि: गोरी ( जियो भटके रे म्हारो जियो भटके ) २
ज़रा सा ऊँ ज़रा सा आ
ज़रा सा सीधो हो जा ज़ालिमा म्हारो जियो भटके
आ: ( इस खातिर से तेरे द्वार लियो मैं ने पल्लो डार ) २
पर छाती में ना सीधो लागे म्हारे नैन कटार
ज़रा सा आ ज़रा सा ऊँ
ज़रा सा टेढ़ो हो जा बालमा म्हारो पल्लो लटके ...
कि: ( मूंगे जैसे लाले होंठ मोती जैसे गोरे गाल ) २
ज़रा सा घुंघटा ऊपर फेर दिखादे मो को भी ये माल
ज़रा सा ऊँ ज़रा सा आ
ज़रा सा सीधो हो जा ज़ालिमा म्हारो जियो भटके ...
आ: ( मैं हूँ जिस बस्ती की हूर नगर गुलाबी है मशहूर ) २
- ?????
कि: गोरी हँस के बैया डाल यही पे दिखला तू ?????ऊर)
ज़रा सा ऊँ ज़रा सा आ
ज़रा सा सीधो हो जा ज़ालिमा म्हारो जियो भटके ...