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"हल्का-हल्का-गहरा-गहरा-गाढ़ा-गाढ़ा उतरा है / दीपक शर्मा 'दीप'" के अवतरणों में अंतर

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भीड़ छँटी तो पाया हमने यार हमारा उतरा है I
 
भीड़ छँटी तो पाया हमने यार हमारा उतरा है I
 
   
 
   
पर्वत-पर्वत , मैदाँ-मैदाँ , जंगल-जंगल से होकर
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मीठा-मीठा जब आया तो खारा-खारा उतरा है I
 
मीठा-मीठा जब आया तो खारा-खारा उतरा है I
 
   
 
   
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आँखें जल्दी मूंदों सखियों और मुरादें माँगों भी  
 
आँखें जल्दी मूंदों सखियों और मुरादें माँगों भी  
उधर देखिये ! आमसान से , टूटा तारा उतरा है I
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उधर देखिये ! आमसान से,टूटा तारा उतरा है I
 
   
 
   
छाप-छूप कर मेरे अपने शेर , मुझी से बोला वो
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छाप-छूप कर मेरे अपने शेर,मुझी से बोला वो
 
देखो-देखो 'दीप' इधर तो कितना प्यारा उतरा है I
 
देखो-देखो 'दीप' इधर तो कितना प्यारा उतरा है I
 
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14:39, 17 सितम्बर 2016 का अवतरण

 
हल्का-हल्का-गहरा-गहरा-गाढ़ा-गाढ़ा उतरा है
चाँद हथेली पर उतरा तो , पारा-पारा उतरा है I
 
सोच रहे थे आखिर ऐसा नूर बला का किसका है
भीड़ छँटी तो पाया हमने यार हमारा उतरा है I
 
पर्वत-पर्वत,मैदाँ-मैदाँ,जंगल-जंगल से होकर
मीठा-मीठा जब आया तो खारा-खारा उतरा है I
 
बरसों बाद पुराने-टेसन की बत्ती फिर जल उट्ठी
गाँव-गाँव में ढोल बजे हैं आज दुलारा उतरा है I
 
नई-नवेली दुल्हन आई बड़कू के घर , देखन को
भीड़ देखकर लगता है कि टोला सारा उतरा है I
 
आँखें जल्दी मूंदों सखियों और मुरादें माँगों भी
उधर देखिये ! आमसान से,टूटा तारा उतरा है I
 
छाप-छूप कर मेरे अपने शेर,मुझी से बोला वो
देखो-देखो 'दीप' इधर तो कितना प्यारा उतरा है I