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"अज़ब लिख रहे हैं गज़ब लिख रहे हैं / दीपक शर्मा 'दीप'" के अवतरणों में अंतर

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अज़ब लिख रहे हैं गज़ब लिख रहे हैं  
 
अज़ब लिख रहे हैं गज़ब लिख रहे हैं  
हमारे मोहल्ले में , सब लिख रहे हैं I
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हमारे मोहल्ले में, सब लिख रहे हैं  
  
 
अभी बे-अदब की ही तूती है ज्यादा  
 
अभी बे-अदब की ही तूती है ज्यादा  
अमाँ ! आप बैठे अदब लिख रहे हैं ?
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अमाँ! आप बैठे अदब लिख रहे हैं  
  
 
ये बलवा सियासत की शह पे हुआ है  
 
ये बलवा सियासत की शह पे हुआ है  
वे मछली फँसाकर सबब लिख रहे हैं I
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वे मछली फँसाकर सबब लिख रहे हैं  
  
पड़ोसन की ऐसी कढ़ाही है साहिब !
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पड़ोसन की ऐसी कढ़ाही है साहिब!
लगती गमकने है , जब लिख रहे हैं I
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लगती गमकने है, जब लिख रहे हैं  
  
इधर से , उधर से , यहाँ से , वहाँ से  
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इधर से, उधर से, यहाँ से, वहाँ से  
मिले 'दीप' धक्के तो अब लिख रहे हैं I
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मिले 'दीप' धक्के तो अब लिख रहे हैं  
 
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06:30, 20 सितम्बर 2016 के समय का अवतरण

 
अज़ब लिख रहे हैं गज़ब लिख रहे हैं
हमारे मोहल्ले में, सब लिख रहे हैं

अभी बे-अदब की ही तूती है ज्यादा
अमाँ! आप बैठे अदब लिख रहे हैं

ये बलवा सियासत की शह पे हुआ है
वे मछली फँसाकर सबब लिख रहे हैं

पड़ोसन की ऐसी कढ़ाही है साहिब!
लगती गमकने है, जब लिख रहे हैं

इधर से, उधर से, यहाँ से, वहाँ से
मिले 'दीप' धक्के तो अब लिख रहे हैं