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Kavita Kosh से
शायरी पर सभी पड़े हैं पेड़
मौत तक दोसती दोस्ती निभाते हैं
आदमी से बहुत बड़े हैं पेड़
अपना चेहरा निहार लें ऋतुएँ
आईनों की तरह जड़े हैं पेड़</poem>