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"एसो के सावन मे जम के बरस रे बादर करिया / छत्तीसगढ़ी" के अवतरणों में अंतर

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01:22, 13 अक्टूबर 2016 के समय का अवतरण

   ♦   रचनाकार: अज्ञात

एसो के सावन मे जम के बरस रे बादर करिया,
यहू साल झन पर जाय हमर खेत ह परिया ॥

महर-महर ममहावत हाबे धनहा खेत के माटी ह,
सुवा ददरिया गावत हाबे, खेतहारिन के साँटी ह ॥
उबुक-चुबूक उछाल मारे गाँव के तरिया,
यहू साल झन पर जाय हमर खेत ह परिया ॥

फोरे के तरिया खेते पलोबो , सोन असन हम धान उगाबो ,
महतारी भुईया ले हमन , धान पाँच के महल बनाबो ।
अड़बड़ बियापे रिहिस , पौर के परिया , बादल करिया ।
यहू साल झन पर जाय हमर खेत ह परिया ॥