भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"भीजत श्याम कुञ्जन में दोऊ अटके / बिन्दु जी" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
Sharda suman (चर्चा | योगदान) ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=बिन्दु जी |अनुवादक= |संग्रह=मोहन म...' के साथ नया पृष्ठ बनाया) |
Sharda suman (चर्चा | योगदान) |
||
पंक्ति 6: | पंक्ति 6: | ||
}} | }} | ||
{{KKCatPad}} | {{KKCatPad}} | ||
+ | {{KKCatBrajBhashaRachna}} | ||
{{KKCatBhajan}} | {{KKCatBhajan}} | ||
<poem> | <poem> |
07:01, 18 अक्टूबर 2016 के समय का अवतरण
भीजत श्याम कुञ्जन में दोऊ अटके।
प्रिय पाहुने भये विपटन के, पावन सरयू तट के।
पवन झकझोर लली मुख मोरति छिपत छोर पिय पट के॥
युगल स्वरूप अनूप छटा लखि रति मनोज मन भटके।
इक टक छवि रस ‘बिन्दु’ पियत दृग पलभर हटत न हटके॥