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"क़दम मिला कर चलना होगा / अटल बिहारी वाजपेयी" के अवतरणों में अंतर

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निज हाथों में हँसते-हँसते,<br>
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सुस्मित हर्षित कैसा श्रम श्लथ,<br>
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असफल, सफल समान मनोरथ,<br>
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असफल, सफल समान मनोरथ,
सब कुछ देकर कुछ न मांगते,<br>
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पावस बनकर ढ़लना होगा।<br>
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कुछ काँटों से सज्जित जीवन,<br>
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प्रखर प्यार से वंचित यौवन,<br>
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नीरवता से मुखरित मधुबन,<br>
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नीरवता से मुखरित मधुबन,
परहित अर्पित अपना तन-मन,<br>
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जीवन को शत-शत आहुति में,<br>
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जलना होगा, गलना होगा।<br>
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जलना होगा, गलना होगा।
क़दम मिलाकर चलना होगा।<br><br>
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क़दम मिलाकर चलना होगा।</poem>

02:18, 20 अक्टूबर 2016 का अवतरण

बाधाएँ आती हैं आएँ
घिरें प्रलय की घोर घटाएँ,
पावों के नीचे अंगारे,
सिर पर बरसें यदि ज्वालाएँ,
निज हाथों में हँसते-हँसते,
आग लगाकर जलना होगा।
क़दम मिलाकर चलना होगा।

हास्य-रूदन में, तूफ़ानों में,
अगर असंख्यक बलिदानों में,
उद्यानों में, वीरानों में,
अपमानों में, सम्मानों में,
उन्नत मस्तक, उभरा सीना,
पीड़ाओं में पलना होगा।
क़दम मिलाकर चलना होगा।

उजियारे में, अंधकार में,
कल कहार में, बीच धार में,
घोर घृणा में, पूत प्यार में,
क्षणिक जीत में, दीर्घ हार में,
जीवन के शत-शत आकर्षक,
अरमानों को ढलना होगा।
क़दम मिलाकर चलना होगा।

सम्मुख फैला अगर ध्येय पथ,
प्रगति चिरंतन कैसा इति अब,
सुस्मित हर्षित कैसा श्रम श्लथ,
असफल, सफल समान मनोरथ,
सब कुछ देकर कुछ न मांगते,
पावस बनकर ढ़लना होगा।
क़दम मिलाकर चलना होगा।

कुछ काँटों से सज्जित जीवन,
प्रखर प्यार से वंचित यौवन,
नीरवता से मुखरित मधुबन,
परहित अर्पित अपना तन-मन,
जीवन को शत-शत आहुति में,
जलना होगा, गलना होगा।
क़दम मिलाकर चलना होगा।