भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"सुख के कुटका / चेतन भारती" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=चेतन भारती |संग्रह=ठोमहा भर घाम }} {{...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
(कोई अंतर नहीं)

20:49, 26 अक्टूबर 2016 का अवतरण

अंधियारी-अंजोरी के झगरा म,
रतिहा सपनाये सपना परागे ।
गोल्लर पद पाके भूकरत हावे,
ठलहा लइका के जिन्गी लरागे।।

जुवानी के अंतस म खुसरगे हताश,
समे हा कोचकत हे लगाके अटाश ।
कतक दिन ले सियत रहय पीरा के कथरी
ओसारी म बइठे खोजत हे घाम,
पेट म रोटी के जगा हमागे पथरी।।

नंदिया के खंड़ ह मरत हे पियास,
बोहात हे संसो आगू फुदकत हे सियार ।
कहूँ संग झगरा न कहूँ संग लिगरी,
कोनो करे जिंदा कोनो दिल्लगी ।।
कलेचुप टेंवत हे पथरा म तन ला,
कुलुप अंधियार हे मानय न मन हा ।
बस्सात पटका पहिरे कतक बच्छट हीतगे,
लहरा गँवागे टोंटा सुखागे अंतस हुलगे ।

बेरोजगारी के फोरा म तड़पत जुवानी
उपेक्षा अऊ तिरस्कार के बोहात पीप
कतक दिन ले सहय, बादत हे कहानी
अऊ गुंगवाही नक्सलवाद के आगी ।