भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"उनकी आदत बुलंदियों वाली / द्विजेन्द्र 'द्विज'" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
Lalit Kumar (चर्चा | योगदान) (New page: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=द्विजेन्द्र 'द्विज' |संग्रह=जन-गण-मन / द्विजेन्द्र 'द्व...) |
(कोई अंतर नहीं)
|
17:01, 4 मई 2008 के समय का अवतरण
उनकी आदत बुलंदियों वाली
अपनी सीरत है सीढ़ियों वाली
हमको नदियों के बीच रहना है
अपनी क़िस्मत है कश्तियों वाली
ज़िन्दगी के भँवर सुनाएँगे
अब कहानी वो साहिलों वाली
हम पे कुछ भी लिखा नहीं जाता
अपनी क़िस्मत है हाशियों वाली
भूखे बच्चे को माँ ने दी रोटी
चंदा मामा की लोरियों वाली
आज फिर खो गई है दफ़्तर में
तेरी अर्ज़ी शिकायतों वाली
तू भी फँसता है रोज़ जालों में
हाय क़िस्मत ये मछलियों वाली
तू इसे सुन सके अगर, तो सुन
यह कहानी है क़ाफ़िलों वाली
वो ज़बाँ उनको कैसे रास आती
वो ज़बाँ थी बग़ावतों वाली
भूल जाते, मगर नहीं भूले
अपनी बोली महब्बतों वाली