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"सेाया है इस तरह से कि उठना मुहाल है / डी. एम. मिश्र" के अवतरणों में अंतर

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10:26, 2 जनवरी 2017 के समय का अवतरण

सेाया है इस तरह से कि उठना मुहाल है
आराम कर रहा है वो मेरा ख़याल है।

इस वक़्त उसके रुख़ को ज़रा पढ़ के देखिये
दुनिया से कूच करके वो कितना निहाल है।

जिसकी जु़बान पे कभी ताला नहीं लगा
वो शांत हो चुका है ख़ुदा का कमाल है।

ग़ैरों से हमें कोई शिकायत नहीं रही
अपनों ने सँभाला नही इसका मलाल है।

वो मुक्त हो चुका है ये उसका नसीब है
उसके बिना हयात हमारी मुहाल है।