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"यतीमों की तरफ़ से भी मगर पैग़ाम लिख लेना / डी. एम. मिश्र" के अवतरणों में अंतर

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यतीमों की तरफ़ से भी मगर पैग़ाम लिख लेना
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ख़़ुदा के वास्ते इस मुल्क का अंजाम लिख लेना।
  
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हमारी छान पर कोई मकाँ नम्बर नहीं होता
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तुम्हें आसान होगा बस हमें बेनाम लिख लेना।
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ग़रीबी और कर्ज़े का यूँ रिश्ता है बड़ा गहरा
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चुका देंगे बहुत जल्दी नमक का दाम लिख लेना।
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हमारी लाश का सौदा अगर हो जाय अच्छे से
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तो फ़ाइल बंद करके फिर हमें गुमनाम लिख लेना।
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जहाँ पर दफ़्न करना या जहाँ पर फूँकना हमको
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वहीं अल्लाह लिख लेना, वहीं पर राम लिख लेना।
 
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12:25, 2 जनवरी 2017 के समय का अवतरण

यतीमों की तरफ़ से भी मगर पैग़ाम लिख लेना
ख़़ुदा के वास्ते इस मुल्क का अंजाम लिख लेना।

हमारी छान पर कोई मकाँ नम्बर नहीं होता
तुम्हें आसान होगा बस हमें बेनाम लिख लेना।

ग़रीबी और कर्ज़े का यूँ रिश्ता है बड़ा गहरा
चुका देंगे बहुत जल्दी नमक का दाम लिख लेना।

हमारी लाश का सौदा अगर हो जाय अच्छे से
तो फ़ाइल बंद करके फिर हमें गुमनाम लिख लेना।

जहाँ पर दफ़्न करना या जहाँ पर फूँकना हमको
वहीं अल्लाह लिख लेना, वहीं पर राम लिख लेना।