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"उनकी उँगली में जो होता तो नगीना होता / डी. एम. मिश्र" के अवतरणों में अंतर
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+ | ज़िंदगी से मुझे भी प्यार है बेशक फिर भी | ||
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+ | चंद लोगों ने ही हालात को बिगाड़ा है | ||
+ | तब सही होता जब हर शख़्स कमीना होता। | ||
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+ | किसकी ख्वाहिश नहीं होती है हज़रे असवद की | ||
+ | सबकी क़ि़स्मत में कहाँ मक्का-मदीना होता। | ||
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12:59, 2 जनवरी 2017 के समय का अवतरण
उनकी उँगली में जो होता तो नगीना होता
इत्र होता जो कहीं उनका पसीना होता।
बड़ी मुश्किल से कहीं शाम का चूल्हा जलता
किसी ग़रीब का जीना, कोई जीना होता।
ज़िंदगी से मुझे भी प्यार है बेशक फिर भी
डूब कर देखता आगे जो सफ़ीना होता।
चंद लोगों ने ही हालात को बिगाड़ा है
तब सही होता जब हर शख़्स कमीना होता।
किसकी ख्वाहिश नहीं होती है हज़रे असवद की
सबकी क़ि़स्मत में कहाँ मक्का-मदीना होता।