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"समय बदलते अपने भी सब बदल गये / डी. एम. मिश्र" के अवतरणों में अंतर

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पलक झपकते कही दूर वो निकल गये।
  
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बडी दुहाई देते थे वो उल्फ़त की
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मेरे अरमानों की कलियाँ मसल गये।
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सच कहने की क़ीमत बहुत चुकाई है
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कितने पत्थर मेरे ऊपर उछल गये।
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बड़े पेड़ थे वो आँधी में उखड़ गये
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हम छोटे थे गिरते-गिरते सँभल गये।
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एक वक़्त था पर्वत पर चढ़ जाते थे
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एक वक़्त है आँगन में ही फिसल गये।
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इस जंगल में कोई भी महफ़ूज नहीं
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उड़ते पंछी को भी अजगर निगल गये।
 
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13:31, 2 जनवरी 2017 के समय का अवतरण

समय बदलते अपने भी सब बदल गये
पलक झपकते कही दूर वो निकल गये।

बडी दुहाई देते थे वो उल्फ़त की
मेरे अरमानों की कलियाँ मसल गये।

सच कहने की क़ीमत बहुत चुकाई है
कितने पत्थर मेरे ऊपर उछल गये।

बड़े पेड़ थे वो आँधी में उखड़ गये
हम छोटे थे गिरते-गिरते सँभल गये।

एक वक़्त था पर्वत पर चढ़ जाते थे
एक वक़्त है आँगन में ही फिसल गये।

इस जंगल में कोई भी महफ़ूज नहीं
उड़ते पंछी को भी अजगर निगल गये।