भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"बड़े वो लोग हैं किरदार की बातें करते / डी. एम. मिश्र" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
पंक्ति 15: | पंक्ति 15: | ||
सिर्फ़़ उपदेश में सुविचार की बातें करते। | सिर्फ़़ उपदेश में सुविचार की बातें करते। | ||
− | इन्हीं | + | इन्हीं बुज़ुर्गों से सीखा था बोलना बेटे |
इन्हीं को कह रहे बेकार की बातें करते। | इन्हीं को कह रहे बेकार की बातें करते। | ||
22:14, 3 जनवरी 2017 का अवतरण
ये बड़े लोग हैं किरदार की बातें करते
सिर्फ़ मोबाइलों से प्यार की बातें करते।
बड़ी तेजी से बदलती हुई इस दुनिया में
अब के बच्चे कहाँ परिवार की बातें करते।
कभी उठा के देख लो निजी जीवन उनका
सिर्फ़़ उपदेश में सुविचार की बातें करते।
इन्हीं बुज़ुर्गों से सीखा था बोलना बेटे
इन्हीं को कह रहे बेकार की बातें करते।
पिता जी मर गये मुँह देखने नहीं आये
उनकी सम्पत्ति में अधिकार की बातें करते।
क्या सियासत है तुम्हारी इसे हम जान गये
रोशनी छीन के उजियार की बातें करते।